परिचय::- भारतीय संस्कृति में दूध और दूध से बनें पदार्थों का स्थान ईश्वर के समतुल्य हैं,यही कारण हैं कि हमारी पूजा पाठ दूध दही बिना अधूरी मानी जाती हैं,चरणामृत,प्रसाद अभिषेक आदि अनन्त कार्यों में दही का प्रयोग सदियों से होता आ रहा हैं.भगवान श्री कृष्ण का तो सम्पूर्ण जीवन गौ माता की सेवा और दूध दही के इर्द गिर्द घूमता हैं. दही में पर्याप्त मात्रा में विटामिन B 12, फोलिक एसिड़, कैल्सियम,फास्फोरस,नियासिन और लेक्टिक एसिड़ और मानव हितेषी जीवाणु मोजूद होतें हैं. उपयोग::- १. मोटापे में ताजे दही को मथकर उसमें से छाछ निकालकर अलग कर लें इस छाछ में सेंधा नमक,सोंठ, काली मिर्च मिलाकर भोजन पश्चात लेते रहनें से मोटापा नियत्रिंत हो जाता हैं. २.थायराँइड़ होनें पर १०० ग्राम दही में पाँच लहसुन की कलिया पीसकर भोजन के साथ लेना चाहियें. ३. दस्त लगनें पर दही चावल मिलाकर लेने से दस्त तुरन्त बन्द हो जातें हैं. ४. पीलिया रोग में दही के साथ पान की पत्तियों का रस मिलाकर पीनें से आराम हो जाता हैं. ५.अपच होनें पर तीन चार दिन पुराना दही मिश्री मिलाकर पीयें. ६.एसीडी...