सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

रेपो लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रेपो दर ,रिवर्स रेपो दर तथा नकद रिज़र्व अनुपात

रेपो दर (Repo rate)  जिस दर पर रिज़र्व बैंक अन्य बैंकों को नकदी उपलब्ध करवाता हैं,उस दर को रेपो दर कहा जाता हैं. यदि बाज़ार में नकदी की कमी हो जाती हैं तो बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से उधार लेकर उस पर रिज़र्व बैंक को ब्याज अदा करतें हैं.इस ब्याज की दर की घोषणा रिज़र्व बैंक समय समय पर अपनी मोद्रिक नितियों के माध्यम से करता हैं. रेपो दर के अधिक होनें या कम होनें का सीधा सम्बंध बैंक के ग्राहकों द्धारा लिये गये लोन से हैं.यदि रेपो दर अधिक होगी तो बैंक भी ग्राहकों से अधिक ब्याज वसूलेंगें.तथा ब्याज दर बढ़ी हुई रहेगी. रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo rate)  जिस दर पर रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों से उधार लेता हैं.उस दर को रिवर्स रेपोदर कहतें हैं.यह रेपो दर का विपरित हैं.  रिज़र्व बैंक को जब यह समाधान हो जाता हैं कि बाज़ार में नकदी का प्रवाह अधिक हो गया हैं,और इससे मुद्रास्फीति होनें की संभावना हैं,तो वह बाज़ार से नकदी उठाने की कार्यवाही करनें लगता हैं. जिससे मँहगाई नियत्रिंत होती हैं. नकद आरक्षी अनुपात  प्रत्येक बैंक को सुरक्षा निधि के रूप में कुछ रकम भारतीय रिज़र्व बैंक