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जुलाई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के समक्ष उपस्थित चुनोंतियों का विश्लेषण

भारत की आज़ादी के समय से ही आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनोंतिया भारत के समक्ष विधमान रही हैं.कितनी सरकारे आकर चली गई,कितनी ही आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से सम्बंधित जाँच दल जाँच कर रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी परन्तु भारत की सुरक्षा चुनोंतियाँ कम होनें के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं,आईयें जानतें हैं इन सुरक्षा चुनोंतियों के बारें में विस्तार से नक्सलवाद ::: सन् 1975 में पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलवाड़ी से शुरू हुआ ये आंदोलन भारत में सबसे लम्बें समय तक चलनें वाले हिंसक आन्दोंलन में से एक माना जाता हैं.वर्तमान में भारत के 11 राज्य और 165 जिले इसकी चपेट में हैं.नक्सलवादी अपनी माँगों के समर्थन में हर साल 1500 से 2000 सुरक्षा बलों की जान ले लेते हैं.छत्तीसगढ़,उड़ीसा के बड़े भू भाग में इन्होनें अपनी समानांतर सरकार स्थापित की हुई हैं.जहाँ नक्सलवादी कानून ही चलता हैं.लेकिन सरकारें इस आंदोलन को कानून और व्यवस्था का सवाल माननें की बजाय शोषण और विकास की वंचना से उपजा रोष ही मानती चली आ रही हैं.इस सम्बंध में दो बुनियादी सवाल उठतें हैं. 1. विकास की वंचना से उपजा रोष हैं,तो आजादी के 70 वर्षों बाद

स्वास्थ और पर्यावरण

स्वास्थ और पर्यावरण ::: बिना पर्यावरण के मानवीय जीवन असंभव हैं.हमारें आसपास मोजूद पेड़ - पौधें न केवल हमें प्राणवायु आक्सीजन देतें हैं,बल्कि भोजन से लेकर वस्त्र और अन्य मानवीय ज़रूरत जंगल ही प्रदान करतें हैं,कुल मिलाकर कहनें का यहीं तात्पर्य हैं,कि पैड़-पौधों के बिना मानवीय अस्तित्व संभव नहीं हैं. मनुष्यों की प्रकृति के प्रति बढ़ती हुई लालची प्रवृत्ति ने पर्यावरण का क्षरण तो किया ही हैं,उससे कहीं अधिक मानव नें अपना स्वंय का नुकसान कर लिया हैं,जो स्वस्थ जीवनशैली  healthy lifestyle  के सिद्धान्तों के पूर्णत: विपरीत हैं,आईयें जानतें हैं,मनुष्यों के स्वास्थ पर पर्यावरणीय क्षरण का क्या नुकसान होता हैं. पर्यावरण क्षरण के नुकसान ::: 1. विश्व में ब्राजील अपनें घनें जंगलों, विविधतापूर्ण वनस्पतियों और सदा नीरा रहनें वाली नदियों ( river)  के कारण विश्व पर्यावरण ( world   environment)  का फेफड़ा कहलाता हैं,लेकिन जबसे इन जंगलों,नदियों और वनस्पतियों पर मनुष्य की लालची निगाह पड़ी हैं,तभी से ये लगभग लुप्त होनें की कगार पर खड़ें हैं.सदा आक्सीजन (oxygen) से संतृप्त रहनें वाली पुण्य सलिला पृथ्व

अलसी linseed

अलसी परिचय :::  अलसी एक महत्वपूर्ण खाद्य तिलहन हैं.जो रबी के मोसम में बोई जाती हैं. यह सर्वगुण सम्पन्न होने के कारण आधुनिक जानकार इसे  संतुलित आहार  का     दर्जा देंतें हैं. पोषणीय महत्ता ::: 1.  कार्बोहाइड्रेट  ----------   28.9 mg 2.   प्रोटीन        ----------  18.3 mg 3.    वसा         ----------  42.3 mg  ओमेगा -- 3 अल्फा लेनोलेनिक एसिड़                           -----------  18.1  ओमेगा -- 6 अल्फा लेनोलेनिक एसिड़                         ------------   7.7 4.रेशा (fibre) -----------  27.3 5.थायमिन.       ------------  1.64 mg 6.राइबोफ्लेविन -------------  0.161 mg 7.नायसिन.      -------------  3.08 mg 8.  विटामिन B- 5  -----------  0.985 mg 9.विटामिन. C.  ------------  0.6 mg 10.कैल्सियम.   -------------  255 mg 11. लोहा          -------------  5.73 mg 12. मैग्निशियम -------------  392 mg 13 फास्फोरस   --------------  642 mg 14 पोटेशियम.   -------------  813 mg 15 जिंक.          -------------  4.34 mg 16 ओमेगा 3 फेटीएसिड़ --- 18

रेपो दर ,रिवर्स रेपो दर तथा नकद रिज़र्व अनुपात

रेपो दर (Repo rate)  जिस दर पर रिज़र्व बैंक अन्य बैंकों को नकदी उपलब्ध करवाता हैं,उस दर को रेपो दर कहा जाता हैं. यदि बाज़ार में नकदी की कमी हो जाती हैं तो बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से उधार लेकर उस पर रिज़र्व बैंक को ब्याज अदा करतें हैं.इस ब्याज की दर की घोषणा रिज़र्व बैंक समय समय पर अपनी मोद्रिक नितियों के माध्यम से करता हैं. रेपो दर के अधिक होनें या कम होनें का सीधा सम्बंध बैंक के ग्राहकों द्धारा लिये गये लोन से हैं.यदि रेपो दर अधिक होगी तो बैंक भी ग्राहकों से अधिक ब्याज वसूलेंगें.तथा ब्याज दर बढ़ी हुई रहेगी. रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo rate)  जिस दर पर रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों से उधार लेता हैं.उस दर को रिवर्स रेपोदर कहतें हैं.यह रेपो दर का विपरित हैं.  रिज़र्व बैंक को जब यह समाधान हो जाता हैं कि बाज़ार में नकदी का प्रवाह अधिक हो गया हैं,और इससे मुद्रास्फीति होनें की संभावना हैं,तो वह बाज़ार से नकदी उठाने की कार्यवाही करनें लगता हैं. जिससे मँहगाई नियत्रिंत होती हैं. नकद आरक्षी अनुपात  प्रत्येक बैंक को सुरक्षा निधि के रूप में कुछ रकम भारतीय रिज़र्व बैंक

दही

परिचय::- भारतीय संस्कृति में दूध और दूध से बनें पदार्थों का स्थान ईश्वर के समतुल्य हैं,यही कारण हैं कि हमारी पूजा पाठ दूध दही बिना अधूरी मानी जाती हैं,चरणामृत,प्रसाद अभिषेक आदि अनन्त कार्यों में दही का प्रयोग सदियों से होता आ रहा हैं.भगवान श्री कृष्ण का तो सम्पूर्ण जीवन गौ माता की सेवा और दूध दही के इर्द गिर्द घूमता हैं. दही में पर्याप्त मात्रा में विटामिन B 12,   फोलिक एसिड़, कैल्सियम,फास्फोरस,नियासिन और लेक्टिक एसिड़ और मानव हितेषी जीवाणु मोजूद होतें हैं. उपयोग::- १.  मोटापे  में  ताजे दही को मथकर उसमें से छाछ निकालकर अलग कर लें इस छाछ में सेंधा नमक,सोंठ, काली मिर्च मिलाकर भोजन पश्चात लेते रहनें से मोटापा नियत्रिंत हो जाता हैं. २.थायराँइड़ होनें पर १०० ग्राम दही में  पाँच लहसुन की कलिया पीसकर भोजन के साथ लेना चाहियें. ३. दस्त लगनें पर दही चावल मिलाकर लेने से दस्त तुरन्त बन्द हो जातें हैं. ४. पीलिया रोग में दही के साथ पान की पत्तियों का रस मिलाकर पीनें से आराम हो जाता हैं. ५.अपच होनें पर तीन चार दिन पुराना दही मिश्री मिलाकर पीयें. ६.एसीडीटी होनें पर दही में पुदि

pumpkin

परिचय ::: कद्दू (pumpkin) लता  (कुकर बिटेसी) परिवार का सब्जी के रूप में उपयोग किया जानें वाला फल हैं.इसका लैट़िन नाम  कुकर बिट़ा मैक्सिमा  और  बेनिनकेसा हिस्पिड़ा  हैं. इसे अलग -अलग नामों से भी जाना जाता हैं जैसे संस्कृत में ग्राम्य,बृहत्फल,पीत कुष्माण्ड़. मराठी में इसे तांबड़ा और भोपला कहतें हैं. बंगाली में इसे कुम्हड़ा तथा गुजराती में पीलु और कोल्हू कहा जाता हैं. प्रकृति ::: कद्दू शीत,मधुर,बलवर्धक और पाचक होता हैं.यह पित्तशामक होता हैं. पोषणीय महत्ता :::   प्रोटीन.       नमी        वसा         मिनरल.     0.2 gm.      97gm.  0.1gm.     0.5gm कार्बोहाइड्रेट.       रेशा      कैल्सियम  फास्फोरस   2.7 gm.          0.6gm.  20 mg.    10 mg विटामिन A          विटामिन k.      लोह तत्व    1.4 iu.                 0.9 mg.        0.7 mg                                                                     ( प्रति 100 ग्राम) इसके अलावा कद्दू में विटामिन B  complex ,एन्टी आक्सीडेन्ट़ (anti oxidant) प्रचुरता में पाया जाता हैं. औषधिगत उपयोग ::: :::    कै