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स्वास्थ और पर्यावरण

स्वास्थ और पर्यावरण :::


बिना पर्यावरण के मानवीय जीवन असंभव हैं.हमारें आसपास मोजूद पेड़ - पौधें न केवल हमें प्राणवायु आक्सीजन देतें हैं,बल्कि भोजन से लेकर वस्त्र और अन्य मानवीय ज़रूरत जंगल ही प्रदान करतें हैं,कुल मिलाकर कहनें का यहीं तात्पर्य हैं,कि पैड़-पौधों के बिना मानवीय अस्तित्व संभव नहीं हैं. मनुष्यों की प्रकृति के प्रति बढ़ती हुई लालची प्रवृत्ति ने पर्यावरण का क्षरण तो किया ही हैं,उससे कहीं अधिक मानव नें अपना स्वंय का नुकसान कर लिया हैं,जो स्वस्थ जीवनशैली healthy lifestyle के सिद्धान्तों के पूर्णत: विपरीत हैं,आईयें जानतें हैं,मनुष्यों के स्वास्थ पर पर्यावरणीय क्षरण का क्या नुकसान होता हैं.

पर्यावरण क्षरण के नुकसान :::



1.विश्व में ब्राजील अपनें घनें जंगलों, विविधतापूर्ण वनस्पतियों और सदा नीरा रहनें वाली नदियों (river) के कारण विश्व पर्यावरण (world environment) का फेफड़ा कहलाता हैं,लेकिन जबसे इन जंगलों,नदियों और वनस्पतियों पर मनुष्य की लालची निगाह पड़ी हैं,तभी से ये लगभग लुप्त होनें की कगार पर खड़ें हैं.सदा आक्सीजन (oxygen) से संतृप्त रहनें वाली पुण्य सलिला पृथ्वी (earth) पर अब आक्सीजन मशीन पर खड़ा होकर शुद्ध वायु  प्राप्त करनें की कोशिश में लगा हुआ हैं,लेकिन क्या कुछ घंटे के लिये आक्सीजन की उपलब्धता से स्वस्थ जीवनशैली (healthy lifestyle) प्राप्त की जा सकती हैं,निश्चित रूप से कदापि नहीं यदि मानव चाहता हैं,कि ईश्वर का दिया हुआ शरीर स्वस्थ और दीर्घायु बना रहें तो यह समुचित पैड़-पौधों और पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन के संभव नहीं हैं.
2. जीव जन्तु भी स्वस्थ पर्यावरण को बनानें में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करतें हैं,लेकिन लगातार बढ़ रही मांसाहार की प्रवृत्ति ने जीव जन्तुओं के सामनें संकट़ खड़ा कर दिया हैं,शेर,गिद्ध,ओलिव रिड़ले कछुए, घरेलू गौरेया,तथा गंगा के पानी को साफ करनें वाले बैक्टेरिया लगभग विलुप्ती के कगार पर हैं.गिद्ध जो सड़े गले मांस को खाकर पर्यावरण को साफ रखते थे,एक विशेष दवा जो पशुओं के उपचार में काम आती हैं से प्रभावित मांस खाकर विलुप्त हो रहे हैं.इसी प्रकार की अनेक खतरनाक औषधियों का प्रयोग मांस उत्पादक मांस उत्पादन में करते हैं जिससे स्वाईन फ्लू (swine flu) h1N1 flu ,जैसी बीमारींयाँ  पैर पसारकर स्वस्थ जीवनशैली में बाधा बन रही हैं.

3. गर्माता हुआ वायुमंड़ल  पर्यावरणीय के साथ अनेक मानवीय नुकसान पहुँचा रहा हैं.जिनमें बाढ़,सुखा,जैसी पर्यावरणीय समस्याओं के अतिरिक्त हिम ग्लेसियरों (glacier) का तेजी से पिघलना शामिल हैं,इनके तेज़ी से पिघलनें से स्वच्छ जल के स्रोंत सिमट रहें फलस्वरूप प्रदूषित जल से होनें वाली मोंतों की सँख्या लगातार बढ़ रही हैं.हिमालय से निकलनें वाली नदियाँ गंगा,ब्रम्हपुत्र आदि विश्व की सबसे ज्यादा प्रदूषित नदियाँ बन गयी हैं,यदि जल्द इन नदियों को नहीं बचाया गया तो मानव सभ्यता सिँधु घाटी सभ्यता की तरह नष्ट हो जावेगी.


आईयें इस विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day)पर संकल्पित होकर पर्यावरण को बचानें व स्वस्थ जीवनशैली (healthy lifestyle) के लियें एक पौधा रोपकर उसे पेड़ बनायें.


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