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pumpkin

परिचय :::


कद्दू (pumpkin) लता  (कुकर बिटेसी) परिवार का सब्जी के रूप में उपयोग किया जानें वाला फल हैं.इसका लैट़िन नाम कुकर बिट़ा मैक्सिमा और बेनिनकेसा हिस्पिड़ा हैं.
इसे अलग -अलग नामों से भी जाना जाता हैं जैसे संस्कृत में ग्राम्य,बृहत्फल,पीत कुष्माण्ड़.
मराठी में इसे तांबड़ा और भोपला कहतें हैं.
बंगाली में इसे कुम्हड़ा तथा गुजराती में पीलु और कोल्हू कहा जाता हैं.


प्रकृति :::

कद्दू शीत,मधुर,बलवर्धक और पाचक होता हैं.यह पित्तशामक होता हैं.


पोषणीय महत्ता :::

  प्रोटीन.       नमी        वसा         मिनरल.    
0.2 gm.      97gm.  0.1gm.     0.5gm

कार्बोहाइड्रेट.       रेशा      कैल्सियम  फास्फोरस
  2.7 gm.          0.6gm.  20 mg.    10 mg


विटामिन A          विटामिन k.      लोह तत्व 
  1.4 iu.                 0.9 mg.        0.7 mg
                                
                                  ( प्रति 100 ग्राम)

इसके अलावा कद्दू में विटामिन B  complex ,एन्टी आक्सीडेन्ट़ (anti oxidant) प्रचुरता में पाया जाता हैं.


औषधिगत उपयोग :::


:::  कैंसर  में---- कद्दू में पाया जानें वाला प्रोपियोनिक एसिड़ कैंसर कोशिकाओं के प्रजनन को रोक देता हैं,जिससे बीमारी आगे नहीं बढ़ती, इसके लिये इसके बीजों को पुनर्नवा जड़ के साथ सेवन के लिये दिया जाता हैं.

::: पेट़ रोगों में ---- इसमें पाया जानें वाला रेशा कब्ज को खत्म करता हैं,इसके लिये कद्दू सलाद की तरह सेवन करें.
पेट़ में कृमि होनें पर कद्दू के बीज पीसकर खिलावें.
इसको लगातार सेवन करनें से आँत मज़बूत होती हैं.

::: त्वचा रोगो में ---- आपनें देखा होगा कई ग्रामीण परिवारों में कद्दू  बिना किसी देखरेख के वर्षभर घर में संचित कर रखा जाता हैं,क्योंकि यह अत्यधिक जीवाणुनाशी प्रकृति का होता हैं.और यह जीवाणुनाशक प्रकृति मानव के लियें हानिरहित हैं.यदि कद्दू के हरें पत्तों को पीसकर दाद खाज ,फोड़ा फुन्सी पर लगाया जावें तो एक महिनें में समस्या समाप्त हो जाती हैं.


::: विषशामक ---- कद्दू की बैल को पशु नहीं खाते और ना ही इसके पत्ते कीट़ व्याधि के कारण नष्ट होतें हैं.यदि इसके पत्तों को मधुमक्खी,ततैया,बिच्छू काटे स्थान पर रगड़ा जावें तो ज़हर नष्ट हो जाता हैं.
जहरीली वस्तु खा लेनें पर पत्तियों का रस पीलाकर उल्टीयाँ करवा दें.

::: मस्तिष्क रोगों में ---- मिर्गी (epilepsy) आनें पर इसके फूलों या पत्तियों को मसलकर रोगी को सूंघानें से आराम मिलता हैं.
इसके बीजों से निकलनें वाला तेल मस्तिष्क पर लगाते रहनें से स्मरण शक्ति तीव्र होती हैं.अनिद्रा की समस्या खत्म होती हैं.तथा बाल घनें और काले होते हैं.

::: मूत्रविकारों में ---- इसके बीजों को शहद के साथ मिलाकर सेवन करनें से पौरूष ग्रंथि (prostate gland) मज़बूत बनती हैं.

::: नेत्र रोगों में ---- छिलके सहित फल का मुरब्बा बनाकर खाते रहने से मोतियाबिंद,कांचबिंद जैसी समस्या नही होती हैं.

तो देखा दोस्तों कद्दू कितना चमत्कारिक और गुणकारी हैं.



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