जम्मू और कश्मीर को भारतीय संविधान द्धारा विशेष स्थान प्रदान किया गया हैं.क्या हैं प्रावधान आईयें जानतें हैं.
० अनुच्छेद 370 के द्धारा जम्मू कश्मीर को विशेष स्थान प्रदान किया गया हैं.1947 में जम्मू कश्मीर के भारत में विलय करते समय वहाँ के महाराजा हरिसिंह और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने "इन्स्ट्रूमेंट आँफ अक्सैशन " पर हस्ताक्षर करते समय महाराज हरिसिंह को कुछ आश्वासन दिया था,कि उनके अलग अस्तित्व को बनाये रखा जावेगा.
अनुच्छेद 370 के अलावा भी अनेक विशेष प्रावधान हैं जैसें ::::
० जम्मू कश्मीर राज्य का अपना अलग संविधान हैं जिसका निर्माण राज्य सरकार द्धारा संविधान सभा द्धारा किया गया.
० राज्य के क्षेत्र में वृद्धि अथवा कटौती या राज्य के नाम व सीमा में परिवर्तन संबधी कोई भी विधेयक संसद में राज्य की विधान सभा की अनुमति बिना प्रस्तुत नहीं किया जा सकता.
० भारत के संविधान के वह प्रावधान जिसके अंतर्गत उन सब नागरिकों को (जो कि पाकिस्तान चले गये थे नागरिकता से वंचित कर दिया गया) जम्मू कश्मीर राज्य के स्थाई निवासियों पर लागू नहीं होते.जम्मू कश्मीर के वह नागरिक जो पाकिस्तान चले गये और फिर पुनरस्थापित होनें के उद्देश्य से परमिट लेकर वापस लोट आए,भारत के नागरिक स्वीकार कर लिये गये.
० भारतीय संविधान के भाग 4 तथा 4 अ जो राज्य के निति - निर्देशक सिद्धांत और मौलिक कर्तव्यों से संबधित हैं,जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होतें.
० जम्मू कश्मीर के उच्च न्यायालय को बहुत ही सीमित शक्तियाँ प्राप्त हैं.यह किसी भी कानून को असंवैधानिक घोषित नहीं कर सकता .मौलिक अधिकारों को लागू करवानें के अतिरिक्त यह लेख या परमादेश जारी नहीं कर सकता.
० संसद जम्मू कश्मीर राज्य के लिये सिर्फ संघीय सूची में दिये गये विषयों पर कानून बना सकती हैं.राज्य सूची में दिये गये विषयों पर कानून नहीं बनाये जा सकते.सन् 1963 तक समवर्ती सूची भी राज्य पर लागू नहीं थी.
० शेष विषयों से संबधित विषयों पर कानून बनानें का अधिकार भी राज्य को प्राप्त हैं.केन्द्र को नही.
० संविधान के भाग 17 के प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य पर केवल कुछ मामलों में ही लागू होतें हैं - 1.केन्द्रीय राजभाषा 2. केन्द्र व राज्यों अथवा राज्यों के बीच पत्र व्यहवार की सरकारी भाषा 3.सर्वोच्च न्यायालय में कार्यवाही की भाषा.
० आंतरिक गड़बड़ी अथवा उसकी संभावना के आधार पर की गई संकटकाल की घोषणा जम्मू कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होती जब तक कि यह घोषणा 1.राज्य की सरकार के अनुरोध अथवा उसकी अनुमति से न की गई हो.2. यदि घोषणा सरकार की अनुमति या अनुरोध से न की गई हो तो राष्ट्रपति बाद में इसे राज्य के अनुरोध पर या राज्य सरकार की अनुमति से इसे लागू कर सकता हैं.
० जब संकटकालीन घोषणा लागू हो चुकी हो तो अनुच्छेद 19 के अन्तर्गत राज्य के कानून बनानें या कार्यकारिणी निर्णय लेनें की शक्ति को सीमित नहीं किया जा सकता.
० संविधान की पांचवी अनुसूची और छठी अनुसूची जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होती हैं.
० अनुच्छेद 370 के द्धारा जम्मू कश्मीर को विशेष स्थान प्रदान किया गया हैं.1947 में जम्मू कश्मीर के भारत में विलय करते समय वहाँ के महाराजा हरिसिंह और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने "इन्स्ट्रूमेंट आँफ अक्सैशन " पर हस्ताक्षर करते समय महाराज हरिसिंह को कुछ आश्वासन दिया था,कि उनके अलग अस्तित्व को बनाये रखा जावेगा.
अनुच्छेद 370 के अलावा भी अनेक विशेष प्रावधान हैं जैसें ::::
० जम्मू कश्मीर राज्य का अपना अलग संविधान हैं जिसका निर्माण राज्य सरकार द्धारा संविधान सभा द्धारा किया गया.
० राज्य के क्षेत्र में वृद्धि अथवा कटौती या राज्य के नाम व सीमा में परिवर्तन संबधी कोई भी विधेयक संसद में राज्य की विधान सभा की अनुमति बिना प्रस्तुत नहीं किया जा सकता.
० भारत के संविधान के वह प्रावधान जिसके अंतर्गत उन सब नागरिकों को (जो कि पाकिस्तान चले गये थे नागरिकता से वंचित कर दिया गया) जम्मू कश्मीर राज्य के स्थाई निवासियों पर लागू नहीं होते.जम्मू कश्मीर के वह नागरिक जो पाकिस्तान चले गये और फिर पुनरस्थापित होनें के उद्देश्य से परमिट लेकर वापस लोट आए,भारत के नागरिक स्वीकार कर लिये गये.
० भारतीय संविधान के भाग 4 तथा 4 अ जो राज्य के निति - निर्देशक सिद्धांत और मौलिक कर्तव्यों से संबधित हैं,जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होतें.
० जम्मू कश्मीर के उच्च न्यायालय को बहुत ही सीमित शक्तियाँ प्राप्त हैं.यह किसी भी कानून को असंवैधानिक घोषित नहीं कर सकता .मौलिक अधिकारों को लागू करवानें के अतिरिक्त यह लेख या परमादेश जारी नहीं कर सकता.
० संसद जम्मू कश्मीर राज्य के लिये सिर्फ संघीय सूची में दिये गये विषयों पर कानून बना सकती हैं.राज्य सूची में दिये गये विषयों पर कानून नहीं बनाये जा सकते.सन् 1963 तक समवर्ती सूची भी राज्य पर लागू नहीं थी.
० शेष विषयों से संबधित विषयों पर कानून बनानें का अधिकार भी राज्य को प्राप्त हैं.केन्द्र को नही.
० संविधान के भाग 17 के प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य पर केवल कुछ मामलों में ही लागू होतें हैं - 1.केन्द्रीय राजभाषा 2. केन्द्र व राज्यों अथवा राज्यों के बीच पत्र व्यहवार की सरकारी भाषा 3.सर्वोच्च न्यायालय में कार्यवाही की भाषा.
० आंतरिक गड़बड़ी अथवा उसकी संभावना के आधार पर की गई संकटकाल की घोषणा जम्मू कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होती जब तक कि यह घोषणा 1.राज्य की सरकार के अनुरोध अथवा उसकी अनुमति से न की गई हो.2. यदि घोषणा सरकार की अनुमति या अनुरोध से न की गई हो तो राष्ट्रपति बाद में इसे राज्य के अनुरोध पर या राज्य सरकार की अनुमति से इसे लागू कर सकता हैं.
० जब संकटकालीन घोषणा लागू हो चुकी हो तो अनुच्छेद 19 के अन्तर्गत राज्य के कानून बनानें या कार्यकारिणी निर्णय लेनें की शक्ति को सीमित नहीं किया जा सकता.
० संविधान की पांचवी अनुसूची और छठी अनुसूची जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होती हैं.
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