चिंताराम की चिंता |
हमारें गाँव के बगल वाले गाँव में ही रहतें हैं । मिस्टर चिंताराम चूंकि हमारे और उनके गाँव की दूरी ज्यादा नहीं हैं,इसलिए चिंताराम जी को जब भी वक़्त मिलता हमारे गाँव की चौपाल पर बैठने आ जाते हैं ।
अब चूंकि चौपाल पर बैठते तो चिंताराम अपने नाम के अनुरूप देश समाज पर अपनी चिंता व्यक्त कर ही देते !
कर ही क्या देते गाँव के बुजुर्ग तो यही कहते हैं कि जब तक चिंताराम किसी मुद्दे पर चिंता व्यक्त नहीं कर दे चिंताराम का गाँव आना और चौपाल पर बैठना सफल ही नहीं होता ।
आज भी चिंताराम चौपाल पर बैठकर देश के नेताओं के बयानों पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं ।
कह रहे थे कैसे - कैसे नेता हैं जी बोलते कुछ और हैं करतें कुछ और !
जब विपक्ष में थे तो पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर रोज धरना आंदोलन करते थे ।
पर अब सत्ता में आ गये और हमनें उन्हें याद दिलाया कि नेताजी आपने तो घोषणा की थी की सरकार बनते ही पेट्रोल डीजल के भाव कम कर देंगे पर हाय राम ! अब ये क्या बात हुई पेट्रोल डीजल के दाम तो अमरबेल की तरह बढ़ते ही जा रहें हैं खेतों में ट्रैक्टर ले जाने से पहले और मोटरसाइकिल से घूमने से पहले दस बार सोचना पड़ता हैं ?
हमनें भी चिंताराम की चिंता में भागीदारी करतें हुऐ पूछ ही लिया :> अरे ! चिंताराम जी फिर क्या हुआ क्या नेताजी ने कुछ पेट्रोल डीजल की क़ीमत कम करने का आस्वासन दिया या यूं ही चलते आये चौपाल पर
,चिंताराम ने फिर कहा :> अरे चिंताराम की किस्मत में चेन कहां । नेताजी ने डपट कर बोला चिंताराम देश की ज्यादा चिंता मत करो वो काम तुम हम पर ही छोड़ दो तुम जब जब भी चिंता करतें हो हमसे तुम्हरा उत्तर नहीं दिया जात हैं ।
चिंताराम चिल्ला कर बोले > पर उत्तर हम थोड़े ही ना माँग रहे है ई तो देश की जनता जानना चाह रही हैं । नेताजी ने फिर लपकर चिंताराम के साथ चिंतन किया देखो चिंताराम अब ये तुम को पेंशन मिल रही हैं ना इसका खर्चा भी पेट्रोल डीजल पर लगने वाले टैक्स से ही आता हैं इसलिये अब तुम पेट्रोल डीजल की चिंता बंद करो ।
चिंताराम ने फिर नेताजी को नंगी आँखो से देखा अरे पर आपका वादा जो आपने वोट लेते वक़्त गाँव की चौपाल पर किया था सरकार बनते ही पैट्रोल डीजल के भाव कम कर दूंगा ?
पर ई तो उल्टा हो रहा हैं ।
नेताजी फिर गर्जे :>अरे चिंताराम क्या उल्टा ! क्या सीधा ! तुम हमें मत समझाओ ।
चिंताराम फिर चिंतित होके बोले > अरे ! पर भगवान राम तो हमें बोल के गये "
" रघुकुल रीति सदा चली आयी प्राण जाये पर वचन ना जाई "
अब तो नेताजी को चिंताराम के चिंतन ने चम्मच बना दिया जो दाल को घुमाये बगैर घूम रहा था । नेताजी फिर सम्भलकर बोले >
>देखो ! चिंताराम अभी चुनाव होने में एक माह बाकी हैं इसके पहले हम आपके गाँव आकर उसी चौपाल पर चढ़कर पेट्रोल डीजल के सम्बन्द्ध में घोषणा करेंगे ?
हमनें भी उचकर चिंताराम जी से पूछा नेता जी कब आ रहें हैं गाँव ? ?चिंताराम ने सीना तानकर सिंह जैसी आवाज में सुनाया कल! कल से नेताजी चुनावी चर्चा शुरू करेंगे और वो भी अपने गॉव से । चौपाल पर बैठे चंचल लोगों ने चिंताराम के चोड़े सीने को थपथपाया वाह चिंताराम तुम्हारी चिंता ने तो नेताजी को भी झुका दिया ।
दूसरे दिन चिंताराम बड़े जोर शोर से नेताजी के स्वागत के लिये अपने महीनों की पेंशन को खर्च कर हार फूल मिठाई लाये और नेताजी का स्वागत किया ।
नेताजी मंच पर चढ़ते ही माइक की और लपके माइक पकड़ते ही नेताजी ने घोषणा की "" आगामी चुनाव में गांव को हम सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहते हैं हम चाहते हैं कि आपके गाँव के लोग चुनाव में बढ़चढ़कर भागीदारी करें " "
चिंताराम फुसफुसाए नेताजी वो सुविधाएं तो ससुरी ठीक है !
पर आप पेट्रोल डीजल वाली घोषणा करने वाले थे ?
नेताजी ने शांत भाव से कहा :::- चिंताराम तनिक रुको ।
हाँ तो में कह रहा था कि गाँव के लोगों को हम सुविधा देंना चाहते हैं और ये सुविधा किसी और के कहने पर नही बल्कि हमारे ईमानदारी और ज़मीनी कार्यकर्ता चिंताराम के कहने पर देना चाह रहे हैं ।
अब तो चिंताराम का सीना गर्व से फूला नहीं समा रहा था ,उसकी वज़ह से गाँव वालों को एक बड़ी महंगाई से राहत मिलने वाली जो थीं ।
नेताजी फिर बोले👉 "" अगले चुनाव में गाँव वालों को मतदान केन्द्र तक आने और वापस घर जाने के लिये हर एक गाँव वाले की गाड़ी में पूरा पन्द्रह लीटर पेट्रोल और 50 लीटर डीजल मुफ़्त देंगे "'
पूरा गाँव नेताजी की इस घोषणा से गदगद होकर नेताजी की जयकार करने लगा और हार माला पहनाने लगा पर नेताजी ने कहा की माला आज मैं नहीं चिंताराम को पहनाओ उसी वज़ह से पेट्रोल डीजल की समस्या से ग्रामीणों को मुक्ति मिली हैं ।
लोगों के अभिवादन और गले में टँगे हार फूल के बीच से मुँह निकालकर गदगद चिंतारामजी नेताजी के सामने नतमस्तक होकर नेताजी को वोट देने की अपील कर रहा था ।
बहुत सटीक व्यंग।
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